२८ सितम्बर को लता दीदी का ८० वां जन्मदिन है, उनके इस शुभ दिन को और भी यादगार बनाने के लिए संगीत कंपनी सारेगामा ने ''८० ग्लोरियस ईयर ऑफ़ लता मंगेशकर -सफलता के शिखर पर - कल भी आज भी'' नाम का आठ सी डी का एक एलबम रिलीज़ किया है, जिसमें सन ४० के दशक से लेकर सन २००० तक के सभी लोकप्रिय गीत शामिल किये गये हैं। १२०० रूपए मूल्य पर उपलब्ध इस आठ सी डी के आकर्षक पैक में लता दीदी की आवाज में मधुर गीत तो हैं ही हैं इसके साथ -- साथ इस एलबम की कई अन्य विशेषताएं भी हैं जैसे -- इस सी डी का परिचय कराया है जाने माने निर्माता - निर्देशक यश चोपडा ने। उन्होंने ''लता दीदी'' के बारे में खुद एक लेख लिखा है. इसके अलावा लता दीदी की अलग - अलग आयु की कुछ दुर्लभ तस्वीरे भी हैं, कुछ तस्वीरों में उनके साथ यश चोपडा भी हैं. लता दीदी से विस्तृत बातचीत हुई उनके इसी एलबम और उनके व्यक्तिगत जीवन को लेकर प्रस्तुत हैं कुछ रोचक अंश ---
सबसे पहले तो आपको हम सभी की तरफ से जन्म दिन की बहुत - बहुत बधाई। किस तरह मना रहीं हैं जन्मदिन ?
मैं कुछ नहीं करती, मुझे केक काटना पसंद नहीं हैं। जब छोटी थी तब जन्मदिन पर माँ घर में मिठाई बनाती थी और माथे पर तिलक लगाती थी. वो अच्छा लगता था.
संगीत कंपनी सारेगामा द्वारा रिलीज़ किये गये आपके इस एलबम ''८० ग्लोरियस ईयर ऑफ़ लता मंगेशकर -सफलता के शिखर पर - कल भी आज भी'' के गीतों का चुनाव आपने किस तरह किया ?
मेरे इस एलबम में वो गीत हैं जो कि अमीन सयानी के लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम बिनाका गीत माला में नंबर वन की पोजीशन पर होते थे। इसमें ४० के दशक के पुराने गीतों से लेकर २००० तक के लोकप्रिय गीत हैं।
इसमें यश जी ने आपके बारें में लिखा है व आपके उनके साथ कुछ विशेष फोटो भी हैं, यश जी के बारे में हमें कुछ बताइए ?
यश जी और मेरा भाई बहन का रिश्ता हैं उनके साथ मैंने बहुत काम किया है, इसके अलावा वो मेरे प्रिय निर्देशक भी हैं।उनका जन्म दिन २७ सितम्बर को होता है और मेरा ठीक एक दिन बाद यानि २८ सितम्बर को.
आप अपनी किसी उपलब्धि को कैसे देखती हैं जैसे आपके इस जन्मदिन पर सारेगामा ने यह एलबम रिलीज़ किया है ?
यह सारेगामा का मेरे प्रति प्यार है, जो उन्होंने मेरे गीतों का यह एलबम रिलीज़ किया है। मेरे लिए मेरी हर उपलब्धि मायने रखती है.
आपने अभिनय भी किया है ?
हाँ लेकिन मुझे अभिनय करना कभी भी पसंद नहीं आया, मेकअप करना बहुत ही बेकार लगता था।
आप शास्त्रीय गीत गाना चाहती थी ?
हाँ मैं शास्त्रीय ही गाना चाहती थी लेकिन परिस्थितियों की वजह से मुझे फ़िल्मी गीतों को गाना पड़ा, क्योंकि मुझे रूपये कमाने थे अपने परिवार के लिए।
जब आपने गाना शुरू किया था तब आपकी आवाज के बारें में लोग कहते थे कि आपकी आवाज बहुत ही पतली है ?
हाँ कहा था, लेकिन मेरी आवाज भी तो पतली ही है, लेकिन मैं आपको बता दूं कि मैंने अपना पहला गीत ऐसे हिरोइन के लिए गाया जिसकी आवाज मोटी थी।
शुरू शुरू में आप नूरजहाँ की तरह गाती थी ?
हाँ क्योंकि मैं उनकी बहुत बड़ी प्रशंसक हूँ मैंने उन्हें बचपन में बहुत सुना है। लेकिन उनकी कॉपी नही करती थी बस किसी - किसी शब्द को कैसे बोलती हैं मैं भी वैसा ही करती थी लेकिन ऐसा ज्यादा दिन तक नहीं चला, मुझे अपना अलग ही स्टाइल अपनाना पड़ा। और ऐसा करने में मेरे संगीत निर्देशकों का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है.
आपने सभी तरह के गीत गायें हैं जैसे रोमांटिक, छेड़छाड़ व विरह के, आपको किस तरह के गीत गाना अच्छा लगता है ?
मुझे भजन व सीधे सादे गीत गाना अच्छा लगता है, लेकिन मैं आपको बताऊ कि मैंने भूत वाले गीत बहुत ही गायें हैं, जो कि हिट भी बहुत हुए, लोग कहने लगें थे कि भूत का गाना तो लता से गवाओ हिट होगा।
आपको किस गायक के साथ युगल गीत गाने ने मजा आता था ?
किशोर दा के साथ, क्योंकि वो बहुत ही हंसाते थे, मजा करते थे संगीतकारो की नकल बनाते थे, सभी का नाम उन्होंने रख रखा था। कई बार तो हमें उन्हें रोकना पड़ता था कि बस अब बहुत हो गया। हाथ से सारंगी बजाते जाते और गाते जाते.
किस संगीतकार के साथ आपको काम करना बेहद अच्छा लगता था?
मदन मोहन, शंकर जयकिशन, नौशाद, सलिल चौधरी, सज्जाद हुसैन। एस डी बर्मन, अनिल विश्वास, जयदेव, हेमंत कुमार सभी के साथ मुझे काम करना पसंद था, इन सभी के साथ काम करते हुए मैंने बहुत सीखा।
आपका जिक्र आते ही सबसे पहले जो छवि आती है वो होती है लाल या सुनहरे बॉर्डर वाली सफेद या क्रीम रंग की साडी पहने लता दीदी। तो कोई ख़ास वजह है यह रंग पहनने की ?
मुझे हमेशा से ये ही रंग पसंद आते हैं पहले मैंने लाल या पीले रंग की साडी पहनी है उन रंगों की साडी पहन कर मुझे ऐसा लगता था कि जैसे किसी ने मुझ पर रंग डाल दिया हो, मैंने माँ को बताया तो वो बोली कि कोई बात नहीं जो तुम्हें अच्छा लगता है वो रंग पहनो।
अभी कोई एलबम आपका आ रहा है ?
पांच सी डी का एक एलबम हम तैयार कर रहें हैं इनमें युगल गीत ही होगें। एक सी डी में केवल शास्त्रीय गीत ही हमने शामिल किये हैं। इससे पहले भी पांच सी डी का एक एलबम निकाला था जिसमें हमने पिताजी, सहगल साहेब, बड़े गुलाम अली साहेब, मुकेश भैय्या, मेरे आशा व सोनू निगम के गीत रखे थे.
आप अपने पिताजी से संगीत सीखती थी तो वो कुछ बताते थे कि कैसे गाना चाहिए ?
जब पिताजी रियाज करते थे तो मैं भी उनके पास बैठ जाती थी सुनती थी और गाती थी, पिताजी बहुत ऊँचे सुर में गाते थे उनको सुनकर मैं भी ऊँचे सुर में गाने लगी तभी मेरा सुर भी ऊँचा है लोग तो कहतें हैं कि लड़कियों का सुर कभी इतना उंचा नहीं होता जितना मेरा होता है। पिताजी ने यह कभी नहीं कहा कि ऐसा गाओ या वैसा गाओ वो बस इतना कहते थे कि ये जो तुम्हारा तानपूरा है इस पर कभी धूल नहीं पड़ने देना नहीं तो तुम्हारे गाने पर भी धूल पड़ जायेगी।
संगीतकार ए आर रहमान के बारे में कुछ कहना चाहेगीं ?
अच्छा संगीत है उनका, मैंने भी उनके साथ गाया है। वो नये नये लोगो को गाने का मौका देते हैं यह बहुत बड़ी बात है, मेरे हिसाब से बड़ा संगीतकार वो है जिसके संगीत से पुराना सारा संगीत बदल जाए. जैसे सन ४१ मे मास्टर गुलाम हैदर आये और सारा संगीत बदल गया फिर उनके संगीत को शंकर जयकिशन ने बदला.